Bihar Board Exam 2023 ! Hindi Ka Top 10 Subjective Questions Answer ! Class 12वीं ka Hindi ka लघु उत्तरीय प्रश्न

1. प्रवृतिमार्ग और निवृत्तिमार्ग क्या है ?

उत्तर- पुरुषों की मान्यता है कि नारी आनंद की खान है। जो पुरुष जीवन से आनंद चाहते थे। उन्होंने नारी को गले लगाया। वे प्रवृत्ति मार्ग है अर्थात् जिस मार्ग के प्रचार से नारी की पद- मर्यादा उठती है उसे प्रवृत्ति मार्ग कहा गया निवृत्तिमार्ग वे है जिन्होंने अपने जीवन के साथ नारी को भी ढकेल दिया क्योंकि नारी उनके किसी काम की चीज नहीं थी। इसके लिए उन्होंने सन्यास ग्रहण किया और वैयक्तिक मुक्ति की खोज को जीवन का सबसे बड़ा साधन माना सन्यासी मार्ग ही निवृत्ति मार्ग है।

2. बुद्ध ने आनंद से क्या कहा ?

उत्तर- आनंद’ मैंने जो धर्म चलाया था वह पाँच सहस्त्र वर्ष तक चलने वाला चलने वाला, किंतु अब वह पाँच सौ वर्ष चलेगा, क्योंकि नारियों को मैंने भिक्षुणी होने का अधिकार दे दिया है।

3. प्रत्येक पत्नी अपने पति को बहुत कुछ उसी दृष्टि से देखती है जिस दृष्टि से लता अपने वृक्ष को देखती है ?

उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित निबंध अर्द्धनारीश्वर से ली गई है। प्रस्तुत पंक्तियों में कवि यह कहना चाहता है कि जिस तरह वृक्ष के अधीन उसकी लताएं फलती फूलती है उसी तरह पत्नी भी पुरुषों के अधीन है वह पुरुष के पराधीन है इस कारण नारी का अस्तित्व ही संकट में पड़ गया उसके सुख और दुख प्रतिष्ठा और अप्रतिष्ठा यहां तक कि जीवन और मरण भी पुरुष की मर्जी पर हो गए उसका सारा मूल्य इस बात पर जा ठहरा है कि पुरुषों की इच्छा पर वह है वृक्ष की लताएं वृक्ष के चाहने पर ही अपना पर फैलाती है उसी प्रकार स्त्री ने भी अपने को आर्थिक पंगु मानकर पुरुष को अधीनता स्वीकार कर ली और यह कहानी को विवश हो गई कि पुरुष के अस्तित्व के कारण ही मेरा अस्तित्व है इस पर अवस्था के कारण उसकी सहज दृष्टि भी छीन गई जिससे यह समझती कि वह नारी है उसका अस्तित्व है एक सोची समझी साजिश के तहत पुरुषों द्वारा वह पंगु बना दी गई इसलिए वह सोचती है कि मेरा पति मेरा कर्णधार है मेरी नैया वही पार करा सकता है मेरा अस्तित्व उसके होने के कारण को लेकर है वृक्ष लता को अपनी जड़ों से सींच कर उसे सहारा देकर बढ़ने का मौका देता है और कभी दमन भी करता है इसी तरह एक पत्नी भी इसी दृष्टि से अपने पति को देखती है।

4. जिस पुरुष में नारीत्व नहीं, अपूर्ण है।

उत्तर प्रस्तुत पंक्ति रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित निबंध अर्द्धनारीश्वर से ली गई है। निबंधकार दिनकर कहते हैं कि नारी में दया, मया, सहिष्णुता और भीरूता जैसे स्त्रियोचित गुण होते हैं इन गुणों के कारण नारी विनाश से बची रहती है यदि इन गुणों को पुरुष अंगीकार कर ले तो पुरुष के पौरूष मैं कोई दोष नहीं आता और पुरुष नारीत्व से पूर्ण हो जाता है। इसलिए निबंधकार अर्द्धनारीश्वर की कल्पना करता है जिससे पुरुष स्त्री का गुण और स्त्री पुरुष का गुण लेकर महान बन सके प्रकृति ने नर नारी को सामान बनाया है पर गुणों में अंतर है अतः निबंधकार नारीत्व के लिए एक महान पुरुष गांधीजी का हवाला देता है कि गांधी जी ने अंतिम दिनों में नारीत्व की ही साधना की थी।

5. मालती के घर का वातावरण आपको कैसा लगा अपने शब्दों में लिखिए ?

उत्तर- कहानी के प्रथम भाग में ही मालती के यंत्रवत् जीवन की झलक मिल जाती है जब वह अतिथि का स्वागत केवल औपचारिक ढंग से करती है अतिथि उसके दूर के रिश्ते का भाई है. जिसके साथ वह बचपन में खूब खेलती थी पर वर्षों बाद आए भाई का स्वागत उत्साह पूर्वक नहीं कर पाती बल्कि जीवन की अन्य औपचारिकताओं की तरह एक और औपचारिकता निभा रही है हम देखते हैं कि मालती अतिथि से कुछ नहीं पूछती बल्कि उसके प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर ही देती है उसमें अतिथि की कुशलता या उसके वहां आने का उद्देश्य या अन्य समाचारों के बारे में जानने की कोई उत्सुकता नहीं दिखती। यदि पहले कोई उत्सुकता उत्साह जिज्ञासा या किसी बात के लिए उत्कंठा भी थी तो वह दो वर्षों के वैवाहिक जीवन के बाद शेष नहीं रही विगत दो वर्षों में उसका व्यक्तित्व बुझ सा गया है जिसे उसका रिश्ते का भाई भांप लेता है अतः मालती का मौन उसके दंभ का या अवहेलना का सूचक नहीं बल्कि उसके वह वैवाहिक जीवन की उत्साहहीनता नीरसता और यांत्रिकता का ही सूचक है। यह एक विवाहित नारी के अभाव में घूमते हुए पंगु बने व्यक्तित्व की त्रासदी का चित्रण है एक नारी के सीमित घरेलू परिवेश में बीतते उबाऊ जीवन का चित्रण है।

6.. दोपहर में उस सूने आंगन में पैर रखते ही मुझे ऐसा जान पड़ा मानो उस पर किसी शाप की छाया मंडरा रही हो, यह कैसी शाप की छाया है वर्णन कीजिए ?

उत्तर- जब लेखक दोपहर के समय मालती के घर पहुंचा तो उसे ऐसा प्रतीत हुआ कि मानो वहां किसी शाप की छाया मंडरा रही हो। यह शाप की छाया उस घर में रहने वाले लोगों के बीच अपनेपन तथा प्रेम भाव का न होना थी वहां रहने वाला परिवार एक ऊब भरी नीरस और निर्जीव जिंदगी जी रहा था। मां को अपने इकलौते बेटे के चोट लगने या उसके गिरने से कोई पीड़ा नहीं होती है इसी प्रकार एक पति को अपने कामकाज से इतनी भी फुर्सत नहीं है कि वह अपनी पत्नी के साथ कुछ समय बिता सकें इस कारण उसे एकाकी जीवन जीना पड़ता है। इस प्रकार यह शाप पति पत्नी और बच्चे तीनों को ही भुगतना पड़ता है।

7. लेखक और मालती के संबंध का परिचय पाठ के आधार पर दें ?

उत्तर- लेखक और मालती के बीच एक घनिष्ठ संबंध है मालती लेखक की दूर के रिश्ते की बहन है लेकिन दोनों के बीच मित्र जैसा संबंध है दोनों बचपन में इकट्ठे खेले लड़े और पिटे हैं। दोनों की पढ़ाई भी साथ ही हुई थी उनका रिश्ता सदा मित्रतापूर्ण रहा था वह कभी भाई बहन या बड़े छोटे के बंधन में नहीं बंधे थे।

8. गैंग्रीन क्या है?
उत्तर- गैंग्रीन एक खतरनाक रोग है पहाड़ियों पर रहने वाले व्यक्तियों के पैरों में कांटा चुभना आम बात है। परंतु कांटा चुभने के बाद बहुत दिनों तक छोड़ देने के बाद व्यक्ति का पांव जख्म का शक्ल अख्तियार कर लेता है जिसका इलाज मात्र पांव का काटना ही है कभी-कभी तो इस रोग से पीड़ित रोगी की मृत्यु तक हो जाती है।

9. मालती के घर का वातावरण आपको कैसा लगा अपने शब्दों में लिखिए ?

उत्तर- कहानी के प्रथम भाग में ही मालती के यंत्रवत् जीवन की झलक मिल जाती है जब वह अतिथि का स्वागत केवल औपचारिक ढंग से करती है अतिथि उसके दूर के रिश्ते का भाई है। जिसके साथ वह बचपन में खूब खेलती थी पर वर्षों बाद आए भाई का स्वागत उत्साह पूर्वक नहीं कर पाती बल्कि जीवन की अन्य औपचारिकताओं की तरह एक और औपचारिकता निभा रही है हम देखते हैं कि मालती अतिथि से कुछ नहीं पूछती बल्कि उसके प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर ही देती है उसमें अतिथि की कुशलता या उसके वहां आने का उद्देश्य या अन्य समाचारों के बारे में जानने की कोई उत्सुकता नहीं दिखती। यदि पहले कोई उत्सुकता उत्साह जिज्ञासा या किसी बात के लिए उत्कंठा भी थी तो वह दो वर्षों के वैवाहिक जीवन के बाद शेष नहीं रही विगत दो वर्षों में उसका व्यक्तित्व बुझ सा गया है जिसे उसका रिश्ते का भाई भांप लेता है अतः मालती का मौन उसके दंभ का या अवहेलना का सूचक नहीं बल्कि उसके वह वैवाहिक जीवन की उत्साहहीनता नीरसता और यांत्रिकता का ही सूचक है। यह एक विवाहित नारी के अभाव में घूमते हुए पंगु बने व्यक्तित्व की त्रासदी का चित्रण है

10. नारी की पराधीनता कब से आरंभ हुई ?

उत्तर- नारी की पराधीनता तब आरंभ हुई जब मानव जाति ने कृषि का जाविष्कार किया जिसके चलते नारी घर में और पुरुष बाहर रहने लगा यहां से जिंदगी दो टुकड़ों में बट गई घर का जीवन सीमित और बाहर का जीवन विस्तृत होता गया। जिससे छोटी जिंदगी बड़ी जिंदगी के अधिकाधिक अधीन हो गई नारी की पराधीनता का यह संक्षिप्त इतिहास है।

 

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